आगरा। भारत में हाल के दिनों में निमोनिया के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। निमोनिया के लक्षणों को अनदेखा करने की आदत के कारण सर्दियों के मौसम में हर साल हजारों लोग साधारण फ्लू से संक्रमित होते हैं, जिनमें सर्दी, खांसी और बुखार शामिल हैं। आम लोग अक्सर बीमारी और इसके उपचार को लेकर जागरुकता का अभाव होने के कारण इसके लक्षणों की उपेक्षा करते हैं। यह कहना है मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के इंस्टीट्यूट ऑफ रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसीन के प्रिंसिपल डायरेक्टर और प्रमुख डॉक्टर विवेक नांगिया का।
उन्होंने बताया कि अध्ययन और रिपोर्ट्स के मुताबिक सर्दियों का मौसम निमोनिया के खतरे को बढ़ा देता है। ठंड के समय लोग अधिक निकट रहना पसंद करते हैं जिससे फ्लू और निमोनिया के कारक सूक्ष्मजीवों के वायुजनित और संपर्क से फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
निमोनिया और इसके कारणों को लेकर मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के इंस्टीट्यूट ऑफ रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसीन के प्रिंसिपल डायरेक्टर और प्रमुख डॉक्टर विवेक नांगिया ने कहा कि निमोनिया वह संक्रमण है जो एक या दोनों फेफड़ों के वायुकोष को प्रभावित करता है। यह हल्के से लेकर गंभीर और यहां तक कि जीवन के लिए खतरनाक बीमारी तक साबित हो सकता है। बैक्टीरिया, वायरस और फंगी सहित विभिन्न प्रकार के जीवों को निमोनिया का कारण माना जाता है। स्ट्रेप्टोकॉकस निमोनिया को कॉमन रोगजनक जीवाणु माना जाता है। इसके बाद हाइमोफिलस इंफ्लुएंजा और क्लेबसिएला और स्यूडोमोनास जैसे विचित्र और नकारात्मक बैक्टीरिया कारण होते हैं। ये भी ध्यान देने योग्य है कि जिसे फ्लू हुआ हो, कभी कभी उसे सेकंड्री इंफेक्शन के रूप में निमोनिया हो सकता है।
कई रिपोर्ट्स के मुताबिक दुनियाभर के क्लिनिकल परिणामों में निमोनिया दर्द और मृत्यु का एक प्रमुख कारण बनकर सामने आया है। दुनियाभर में निमोनिया के कुल मामलों में 23 फीसदी मामले अकेले भारत से हैं। भारत में निमोनिया पीड़ितों की मृत्यु दर 14 से 30 फीसदी के बीच है। डॉक्टर विवेक नांगिया ने आगे कहा, बच्चों और बुजुर्गों को निमोनिया होने का खतरा बहुत अधिक होता है क्यों कि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसके साथ ही लोगों को मधुमेह, फेफड़े की पुरानी बीमारियां, फेफड़े की पुरानी प्रतिरोधी बीमारी, पुराने हृदय रोग, किडनी और लीवर की बीमारियां भी होती हैं। इन सबकी वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। खांसी, कफ का बनना, जंग के रंग का बलगम, बुखार के साथ सीने में दर्द, सांस फूलना, सांस लेने में परेशानी होना और ब्लड प्रेशर का गिरना निमोनिया के सामान्य लक्षण हैं।
डॉ. विवेक नांगिया ने यह भी कहा, “निमोनिया के उपचार में सिम्प्टोमेटोलॉजी, कुछ रक्त परीक्षण, थूक की जांच और छाती के एक्स-रे के साथ शारीरिक परीक्षण से रोगी को स्वास्थ्य विशेषज्ञ की तरफ से सबसे बेहतर देखभाल प्रदान की जा सकती है। उपयुक्त एंटीबॉयोटिक दवाओं के साथ जल्द उपचार शुरू कर दिया जाना निमोनिया पीड़ित को जल्द ठीक करने के लिए बहुत जरूरी है। और जबकि इसके मामले बढ़ रहे हैं, निमोनिया को अच्छे हाइजीन का पालन करके, शराब के सेवन से परहेज करके, फ्लू और निमोनिया से बचाव के लिए उचित वैक्सीन लगवाकर रोका जा सकता है।
पिछले कई साल से मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, साकेत अपने अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और अग्रणी तकनीक के साथ देश में सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ रीढ़ के उपचार में सक्रिय रूप से काम कर रहा है।