ऋषि चौहान
एटा। जिले की सबसे संवेदनशील अलीगंज विधानसभा सीट पर बसपा के जुनैद मियां के आने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय होने के हालात हैं। इस सीट पर पूर्व में हालत यह थे कि चौधरी लटूरी सिंह जैसे दिग्गज नेता भी कभी इस सीट से दोबारा लगातार नहीं चुने जा सके लेकिन उनके बेटे अवधपाल सिंह यादव और पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव ने इस मिथक को तोड़ दिया। इस बार भाजपा के सत्यपाल सिंह राठौर यह कारनामा कर पाएंगे या नहीं। यह आने वाले 10 मार्च को पता चलेगा। फिलहाल इस सीट पर मुकाबला रोचक दौर में है।
अतीत गवाह है कि पिछले 2017 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा के सत्यपाल सिंह राठौर चुनाव जीते थे उन्हें 88695 मत मिले थे उनके निकटतम रहे सपा के रामेश्वर सिंह को 74844 वोट मिले थे। पिछले चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े अवधपाल सिंह यादव को 46275 वोट मिले थे। सपा प्रत्याशी रामेश्वर सिंह यादव के लिए राहत यह है कि इस बार उनके धुर विरोधी अवधपाल सिंह यादव चुनाव मैदान में नहीं है। बल्कि वे इन दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह के चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं। पिछले चुनाव में निर्दलीय नीरज मिश्रा 1305 वोटों पर सिमट गए थे। वर्ष 1962 मे इसी अलीगंज सीट से जनसंघ के टिकट पर सतीश चंद शर्मा चुने गए थे उसके बाद कालांतर में गेंदालाल गुप्ता भाजपा से निर्वाचित हुए थे उसके बाद इस सीट पर अवधपाल सिंह और रामेश्वर सिंह यादव जीते। बीते चुनाव में सत्यपाल सिंह राठौर भाजपा के टिकट पर जीते थे।
यादव बाहुल्य सीट पर ब्राह्मण बोर्ड निर्णायक होने की उम्मीद की जा रही है। नामांकन प्रक्रिया पूरी के बाद चुनावी तस्वीर प्रारंभिक दौर में है। नामांकन प्रक्रिया से पहले ही डोर टू डोर मतदाताओं से रूबरू होने का दौर चल रहा है। अभी तक अपना-अपना टैंपो हाई करने की कोशिश है लेकिन कोरोनावायरस के काल में जनसभाएं और रैलियां नहीं हो पा रही हैं। इसलिए चुनाव की रफ्तार अभी धीमी है। सपा के पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव को अलीगंज और उनके सगे भाई योगेंद्र सिंह यादव को एटा से टिकट मिला है अलीगंज के पिछले चुनाव में जुगेंद्र सिंह यादव अपने भाई के साथ ही रहते थे
इस बार इस भूमिका में विधायक का बेटा प्रमोद यादव है देखना है चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है
इतिहास गवाह है कि अलीगंज विधानसभा कि इस ऐतिहासिक सीट पर पहले चुनाव में 1957 में रूपकिशोर जीते थे तो 1962 में लोकपाल सिंह 1967 में लोकपाल सिंह 1977 में सतीश चंद्र शर्मा 1974 में लटूरी सिंह 1977 में जनता लहर में गेंदालाल गुप्ता 1980 में लटूरी सिंह यादव 1985 में कांग्रेस के टिकट पर उदय वीर सिंह राठौर 1989 में चौधरी लटूरी सिंह 1991 में चौधरी अवधपाल सिंह और 1993 में पुणे अवधपाल सिंह चुनाव जीते थे 1996 में रामेश्वर सिंह यादव 2007 में अवधपाल सिंह यादव 2012 में रामेश्वर सिंह यादव और 2017 में सत्यपाल सिंह राठौर चुनाव जीते है।
इस चुनाव में भाजपा के सतपाल सिंह राठौर और सपा के रामेश्वर सिंह यादव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है वहीं बसपा के जुनेद मियां के चुनाव मैदान में आ जाने से एटा सीट पर कांग्रेस लहर में जीते सांसद प्यारे मियां की प्रतिष्ठा भी दांव पर है देखना है के इस प्रतिष्ठा पूर्व चुनाव में चुनावी बाजी इस बार कौन जीता है?