ऋषि चौहान
एटा। राजा संग्राम सिंह के एटा में चुनावी संग्राम प्रारंभिक दौर में ही शबाब पर है। चुनावी तस्वीर नई बोतल में पुरानी शराब जैसी है। भाजपा विधायक विपिन वर्मा डेबिड और पिछले चुनाव में निकटतम प्रत्याशी रहे जुग़ेंद्र सिंह यादव समाजवादी पार्टी के टिकट पर 5 साल बाद फिर मैदान में हैं। सपा विद्रोही अजय यादव इस चुनाव को त्रिकोणीय बना रहे हैं सपा में टिकट कटने के बाद वे बसपा के टिकट पर चुनावी संग्राम में अपनी ताकत आजमा रहे हैं।
वर्ष 2017 के चुनाव में 15 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे लेकिन मुख्य मुकाबला विपिन वर्मा डेबिट भाजपा और सपा के जुगेंद्र सिंह यादव के बीच हुआ था। इन दोनों को क्रम से 82500 तथा जुगेंद्र सिंह यादव को 61387 वोट मिले थे। हार जीत का अंतर 21129 का रहा था तीसरे स्थान पर बसपा के गजेंद्र सिंह चौहान उर्फ बबलू अध्यक्ष क्षत्रिय महासभा को 41937 वोट मिले थे तथा चौथे स्थान पर तत्कालीन निवर्तमान विधायक आशीष यादव उर्फ आशु रहे थे, उन्हें 11032 वोट मिले थे शेष 11 प्रत्याशी निर्दलीय थे।
मौजूदा चुनाव की तस्वीर यह है कि भाजपा के मौजूदा विधायक विपिन वर्मा डेविड जिनके पिता लगातार 21 वर्ष इस सीट से विधायक रहे थे। उस दौरान कांग्रेस के कैलाश यादव ने परेशान होकर परिसीमन कराया था। तब चुनावी तस्वीर बदली थी डेविड के भाई प्रजा पालन वर्मा विधायक रह चुके हैं। वे भी भाजपा विधायक थे।
एटा सदर सीट की चुनावी तस्वीर थोड़ी रोमांचक होती नजर आ रही है। मुकाबला भाजपा बसपा और सपा के बीच है यादव बाहुल्य इस सीट पर यादव मतों का बंटवारा 2 प्रत्याशियों की वजह से होना स्वाभाविक है। ऐसे में अपने अपने कोर वोट बैंक को समेट कर हर प्रत्याशी दूसरे के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश में है। बीते चुनाव में इस सीट पर बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े क्षत्रिय महासभा के बबलू जहां भाजपा प्रत्याशी डेविड के लिए वरदान बने हुए हैं। वही अपनी पत्नी को पिछले जिला पंचायत चुनाव में अध्यक्ष बनवा कर जीत हासिल कर चुके सपा के जुगेंद्र सिंह यादव भी किसी भी कीमत पर चुनाव जीतने के लिए मैदान में डटे हुए हैं। सबसे बड़ी बाधा उनके लिए बसपा के सपा विद्रोही अजय यादव पेश कर रहे हैं। क्योंकि वे एटा क्षेत्र के मलावन क्षेत्र के रहने वाले हैं, जहां उनका खासा प्रभाव है। उनकी बेटी ब्लाक प्रमुख भी है। टिकट कटने से आहत अजय यादव जिस तरह से मीडिया के सामने रोए थे उससे भी अपने समाज में एक संदेश देने में कमोबेश सफल रहे थे।
हालात यह है कि जीत के लिए दावेदार तीनों ही प्रत्याशी कोरोना के इस मौसम में चुनाव आयोग की पाबंदियों के बीच पत्रकारों को दावत दे चुके हैं। टेंपो दिखाने के लिए किसी के पास भी ज्यादा मौके नहीं हैं। इसीलिए वे सोशल मीडिया का सहारा लेने के लिए मजबूर है। एटा में मतदान तीसरे चरण में 20 फरवरी को होगा। ऐसे में आने वाले 1 पखवाड़े में चुनावी रंगत क्या होगी यह आने वाला वक्त ही बताएगा फिलहाल तीनों प्रत्याशियों के बीच मुकाबला रोचक होता नजर आ रहा है।