आगरा। दयालबाग एजुकेशनल इंस्टीट्यूट के स्कूल आफ एजुकेशन में पंडित मदन मोहन मालवीय मिशन के अंतर्गत सोमवार को B.Ed कर रहे छात्र-छात्राओं को, जो भावी शिक्षक भी हैं, नृत्य कला के माध्यम से यह समझाया गया कि इस कला का बच्चों को पढ़ाने के लिए किस प्रकार प्रयोग करना है। बच्चों को नृत्य की कला से पढ़ाना सिखाने के लिए भरतनाट्यम और उड़ीसा नृत्य के विशेषज्ञ को बुलाया गया। बता दें कि नई शिक्षा नीति के तहत छात्र-छात्राओं को यह भी सीखना है कि प्रदर्शन कला का प्रयोग कैसे करें। सिर्फ लेक्चर मेथड से ही बच्चों को नहीं पढ़ाना है। उन्हें नृत्य संगीत एवं अन्य कलाओं के माध्यम से भी इस प्रकार समझाना है कि बच्चे उस विषय को बेहतर तरीके से समझ जाएं। डीईआई में शिक्षा में प्रभावी संचार के लिए एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। भरतनाट्यम नृत्यांगना आरती हरिप्रसाद और उड़ीसा नृत्य के विशेषज्ञ प्रताप बहेरा ने गैर मौखिक संचार की अपनी समझ को समझाया। छात्र, शिक्षकों ने रणनीतियों से पाठ योजनाओं में नृत्य गतिविधियों को शामिल करना सीखा। विशेषज्ञों ने सिखाया की कैसे डांस में अनुशासन होता है। कैसे हाव भाव होते हैं। शिक्षक को क्लास में कैसे यह काम आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ चीज बिना बोले इशारे से बतानी होती हैं। उन्होंने कहा अगर हम नृत्य और संगीत कला का प्रयोग करते हुए बच्चों को विषय को समझाते हैं तो बच्चा उस विषय को भूलता नहीं है। केवल बच्चों को बता देने और बोल देने से काम नहीं चलता है। कार्यशाला के दौरान प्रोफेसर नंदिता सत्संगी, प्रोफेसर एनपीएस चंदेल, प्रोफेसर सविता श्रीवास्तव, डॉ. अंजना वर्मा, प्रोफेसर मुकेश गौतम, प्रोफेसर लाजवंती, डॉ. नेहा जैन, डॉ. प्रीति शर्मा, डॉक्टर पल्लवी दुबे, डॉ. कल्पना गुप्ता, रिंकी सत्संगी, संयोजनकर्ता डॉ. मनु शर्मा व स्कूल ऑफ़ एजूकेशन की कोऑर्डिनेटर डॉ. सोना दीक्षित आदि शामिल रहीं। कार्यशाला में 164 प्रतिभागी शामिल रहे।
कार्यशाला में नृत्य प्रस्तुति की झलकियां