आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के दो पूर्व कुलपति सहित 19 लोगों के खिलाफ हरीपर्वत थाने में भ्रष्टाचार सहित कई अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसमें चार प्रोफेसर के खिलाफ विजिलेंस ने कुलसचिव से अभियोजन की स्वीकृति मांगी है। अभियोजन की स्वीकृति मिलने के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। चार में से तीन सेवानिवृत हो चुके हैं। एक अभी भौतिक विज्ञान विभाग में कार्यरत हैं।
विजिलेंस के इंस्पेक्टर ने वर्ष 2018 में हरीपर्वत थाने में पूर्व कुलपति प्रोफेसर डीएन जौहर, पूर्व कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद मुजम्मिल, वित्त अधिकारी आरपी सिंह, वित्त अधिकारी अमरचंद सिंह, पूर्व कुलसचिव बीके पांडे, पूर्व निदेशक गृह विज्ञान संस्थान प्रो. भारती सिंह, इतिहास विभाग के प्रोफेसर अनिल वर्मा, सहायक कुलसचिव अनिल शुक्ला, प्रोफेसर बीपी सिंह, पूर्व कुलसचिव प्रभात रंजन, पूर्व डिप्टी रजिस्टार महेंद्र कुमार, बेव मास्टर अनुज अवस्थी, कार्यवाहक वित्त अधिकारी बालजी यादव, गृह विज्ञान संस्थान की प्रोफेसर नीता चोपड़ा, वित्त अधिकारी रामसागर पांडे, माइंडलॉजिक एजेंसी के डायरेक्टर राघव नारायण, मैनेजर शैलेन्द्र टंडन, बालेश त्रिपाठी, मीनाक्षी मोहन के खिलाफ भ्रष्टाचार सहित कई अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें आरोप साबित हुए हैं। आरोप साबित होने के बाद शासन और विश्वविद्यालय से अभियोजन स्वीकृति मांगी जा रही है। अभियोजन स्वीकृति का मतलब है न्यायालय में मुकदमा चलाने की अनुमति। यानी उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल होगी। कुलसचिव कार्यालय में आए पत्र से ज्ञात हुआ है कि विजिलेंस ने गृह विज्ञान संस्थान की पूर्व निदेशक प्रोफेसर भारती सिंह, प्रोफेसर नीता चोपड़ा, हाल ही में सेवानिवृत हुए प्रोफेसर अनिल वर्मा, भौतिक विज्ञान विभाग में कार्यरत प्रोफेसर बीपी सिंह के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति मांगी है। बता दें कि पूर्व कुलपति प्रोफेसर मोहम्मद मुजम्मिल का निधन हो चुका है। अन्य की मुश्किल बढ़ सकती हैं।