ऋषि चौहान
एटा। पिछले 2017 के विधानसभा चुनाव में एटा और कासगंज ने सभी सातों सीटें भाजपा की झोली में डाली थी। बावजूद इसके लाल बत्ती देने के मामले में बाबा योगी आदित्यनाथ ने भाजपा को कोई भाव नहीं दिया। 2022 के चुनाव में वही प्रवृत्ति दोहराई गई। हालांकि एटा की चारों सीटें और कासगंज की 3 में से 2 सीटें भाजपा के खाते में गई। इतनी सफलता के बावजूद भी एटा कासगंज खाली हाथ रहे। एटा जनपद सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और कल्याण सिंह का गढ़ कहा जाता है। अतीत में कासगंज से कालीचरण अग्रवाल और मान पाल सिंह वर्मा प्रदेश के मंत्रिमंडल में रह चुके हैं। एटा से पूर्व मंत्री अवधपाल सिंह यादव भी मंत्री रह चुके हैं, लेकिन इस बार एटा और कासगंज दोनों खाली हाथ रहे। एटा और कासगंज में चार लोधी, एक ठाकुर एक दलित विधायक जीते थे। बावजूद इसके लाल बत्ती के मामले में किसी की लॉटरी नहीं लगी।
हालांकि कासगंज आरएस एस और भाजपा का गढ़ रहा है। एटा में भी बाबूजी कल्याण सिंह के समर्थकों की कोई कमी नहीं है। बावजूद इसके मंत्रिमंडल में पूर्वांचल हावी है। एटा में चुनाव परिणामों के बाद अलीगंज के सत्यपाल सिंह राठौर की मंत्री पद की चर्चा थी लेकिन जयवीर सिंह चौहान के जीतने के बाद मंत्री पद उनके खाते में चला गया और वे खाली हाथ रह गए। लोधी जाति के विपिन वर्मा डेविड लगातार दूसरी बार चुनाव जीते हैं उनके घर में विधायकी 11वीं बार आई है, उनके पिता गंगा प्रसाद लगातार 21 साल जीते थे। वे मंत्री भी रहे, लेकिन कल्याण सिंह के नाती को मंत्री पद दिए जाने के बाद उनका पत्ता भी कट गया।
हालांकि विधान परिषद चुनाव में एटा में एटा, मथुरा, मैनपुरी फिर दोनों सीटें भाजपा को देनी है। इस चुनाव में एटा से आशीष यादव उर्फ आशु तो मथुरा से ओमप्रकाश सिंह ठाकुर जाति के जीते हैं, लेकिन एटा का नंबर नहीं आया है। बड़ा सवाल यह है कि एटा जो कि मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुलायम सिंह और एनडी तिवारी का गढ़ रहा था । क्या बुलडोजर बाबा नजदीकी के भाव में एटा भाजपा को बड़ी सफलताएं दिलाने के बावजूद भी खाली हाथ रहेगा। हां इतना तय है कि केशव देव मौर्य के दोबारा उप मुख्यमंत्री बनने से इस चुनाव में पटियाली से हारने वाले ममतेश शाक्य का कद बढ़ेगा।
अब भाजपा ने आज योगी मंत्रिमंडल की शपथ के साथ ही यूपी में 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है।