ऋषि चौहान
एटा। लंबे अरसे से चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा रहे तमाम दिग्गज इस बार चुनाव मैदान से नदारद रहे। कारण क्या थे यह तो वही जाने लेकिन इन तमाम दिग्गजों को लेकर जनमानस में यही चर्चा रही की कहां तुम चले गए…..
अलीगंज में पिछले 50 साल से चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा रहे पूर्व मंत्री अवधपाल सिंह यादव और उनके परिवार का एक भी सदस्य इस बार चुनाव मैदान में नजर नहीं आया। 1967 से लेकर 2017 तक यानी बीते 55 साल से अलीगंज की राजनीति में चुनावी मुकाबलों का गवाह रहा एक परिवार 13 चुनाव लड़ा। पूर्व मंत्री अवधपाल सिंह यादव के। पिता चौधरी लटूरी सिंह यादव सात चुनाव लड़े इनमें वे चार चुनाव जीते और तीन चुनाव हारे। 1967, 1974, 1980 और 1989 के चुनाव में जीते थे और 1969, 1985, 1977 चुनाव हारे थे। खुद अवधपाल सिंह यादव 1991, 1993, 2007 में चुनाव जीते। 1996 और 2017 में चुनाव हार गए 1998 और 2002 में भी एमएलसी रहे उनके भाई चंद्रपाल चंद्र प्रताप उर्फ चंदू एमएलसी रहे। 2017 के चुनाव में अवधपाल सिंह चुनाव लड़े थे और हार गए थे। इस बार भी चुनाव मैदान में दिखाई नहीं दिए। वे संभवत अगला एमएलसी का चुनाव लड़ने की तैयारी में है।
पटियाली विधानसभा सीट से आधा दर्जन से ज्यादा चुनाव लड़े कुंवर देवेंद्र सिंह यादव इस सीट से कॉन्ग्रेस के टिकट पर 1989 और 1991 में विधायक बने थे। इतने ही चुनाव में भी सपा के टिकट पर सांसद रहे हालांकि वे कांग्रेस बसपा सपा सभी पार्टियों में रह चुके हैं लेकिन अब सपा के जिलाध्यक्ष हैं उनकी बेटी किरण यादव पिछले 2017 के चुनाव में इसी क्षेत्र से चुनाव लड़ी थी। और मामूली अंतर से चुनाव हार गई थी। इस बार उन्हें टिकट नहीं दिया गया है। ऐसे में देवेंद्र सिंह यादव और उनकी बेटी सहित कोई भी व्यक्ति उनके परिवार का चुनाव मैदान में नहीं है।
इसी क्रम में पूर्व सभापति रमेश बाबू यादव निधौली कला से पहले चुनाव लड़ चुके हैं। कई बार एमएलसी रहे और सभापति भी उनका बेटा आशू यादव एटा विधानसभा से विधायक रहा। पिछले चुनाव में भी चुनाव हार गए थे लेकिन इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला। इसलिए उनके परिवार का कोई सदस्य इस बार चुनावी समर में नहीं था।
इसी क्रम में कांग्रेस के टिकट पर1980 विधायक रहे पूर्व सांसद कैलाश यादव एटा और जलेसर संसदीय सीटों से चुनाव लड़े हैं और सांसद भी रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी निकट रहे और कांग्रेस बसपा सपा सभी दलों में पर चुनाव लड़े लेकिन इस बार वे चुनावी समर में नहीं दिखे।
इसी क्रम में पटियाली सीट से राजेंद्र सिंह चौहान नगला अमीर. पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह चौहान नगला गढ़िया पूर्व विधायक रंजन पाल सिंह चौहान जीनत बेगम सहित तमाम दिग्गज चुनावी मैदान में नहीं है।
इसी क्रम में कासगंज विधानसभा सीट से नेतराम सिंह और उनके भाई हसरत उल्ला शेरवानी तमाम दिग्गज चुनाव मैदान से नदारद है। चुनाव मैदान से नदारद होने वालों में की सूची बहुत लंबी है अली गंज से पूर्व विधायक गेंदालाल गुप्ता, सतीश शर्मा एटा सीट से शीशपाल सिंह यादव, प्रीतम सिंह वर्मा, जलेसर सुरक्षित सीट से कुबेर सिंह अगरिया और उनकी पत्नी मिथलेश अगरिया चुनाव मैदान में नहीं है। इस सीट से चुनाव लड़े अनार सिंह दिवाकर की हत्या पहले ही हो चुकी है। परिसीमन में सकीट विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे सूरज सिंह शाक्य भी चुनाव मैदान में नहीं है उनके पिता प्यारेलाल शाक्य जनसंघ से चुनाव जीते थे। इसी सीट से विधायक रह चुके वीरेंद्र सिंह सोलंकी भी इस बार चुनाव मैदान में नहीं है। टिकट न मिलने से जहीर अहमद और प्रदीप रघुनंदन की भी चुनाव लड़ने की ख्वाहिश अधूरी रह गई। इसी क्रम में बहुत लंबी सूची है उन दिग्गजों की जो किसी न किसी वजह से चुनाव मैदान में नहीं है।