आगरा। आगरा पुलिस विभाग में इन दिनों एक इंस्पेक्टर को चार्ज मिलना सुर्खियों में छाया हुआ है। पूर्व के थाने से हटने के बाद 6 महीने से पहले ही तैनाती कैसे मिली। यह सवाल उठ रहे हैं। इंस्पेक्टर को पूर्व में जिस थाने से हटाया गया था, वहां पर मृतक के परिवार ने ऐलान कर दिया था जब तक इंस्पेक्टर को थाने से नहीं हटाया जाएगा वह मृतक का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। उनमें इंस्पेक्टर की कार्यशैली को लेकर काफी आक्रोश था, जिसके बाद उन्हें हटा दिया गया था।
बीते दिनों इंस्पेक्टर सदर प्रदीप कुमार की वजह से कमिश्नर की हाई कोर्ट में काफी किरकिरी हुई थी। तत्कालीन इंस्पेक्टर सदर प्रदीप कुमार को हटाकर उनके स्थान पर इंस्पेक्टर वीरेश गिरी को सदर थाने का प्रभारी बनाया गया। वीरेश गिरी चार सितंबर 2024 को फतेहाबाद थाने से हटाए गए थे। वजह थी कि गांव रसूलपुर में दो पक्षों में जमीन को लेकर विवाद हुआ था। मारपीट में दस लोग जख्मी हुए थे। मारपीट में घायल कुशवाह समाज के एक वृद्ध ने दम तोड़ दिया था। परिजनों ने पोस्टमार्टम के बाद दस घंटे तक अंतिम संस्कार नहीं किया था। भाजपा विधायक भगवान सिंह कुशवाह और डीसीपी पूर्वी अतुल शर्मा ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाया था। बुजुर्ग के परिजनों ने मांग रखी थी कि पहले इंस्पेक्टर फतेहाबाद वीरेश गिरी को हटाया जाए। उनकी मांग पर इंस्पेक्टर फतेहाबाद वीरेश गिरी को हटाया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने कुशवाह पक्ष की सुनवाई नहीं की थी। वह सुनवाई करते तो मारपीट की नौबत ही नहीं आती। उनका मुकदमा भी बाद में लिखा था। एक थाने से हटने के चार माह बाद ही वीरेश गिरी को सदर थाने का प्रभारी निरीक्षक नियुक्त कर दिया गया। पुलिस कर्मियों के बीच उनकी तैनाती को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। आखिर यह कैसे हो गया। जिले में इंस्पेक्टर तो कई हैं। उनकी थानों पर तैनाती के लिए कोई अड़चन नहीं है। ऐसी स्थिति में नियमों को ताक पर क्यों रखा गया?
क्या है डीजीपी के आदेश में
किसी थाना प्रभारी को शिकायत पर थाने से हटाया जाता है तो छह माह तक उसे किसी दूसरे थाने का प्रभारी नहीं बनाया जा सकता। यह डीजीपी का परिपत्र है। यही वजह है थाना प्रभारी शिकायत पर हटने से घबराते हैं। कमिश्नरेट में एक इंस्पेक्टर को छह माह से पहले ही चार्ज मिल गया। महकमे में इसे लेकर चर्चा है कि आखिर डीजी के परिपत्र को किस सिफारिश पर नजरंदाज किया गया?