-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय के फर्जीवाड़ों की एसटीएफ गहनता से जांच कर रही है। गहनता से जांच करता देख एसटीएफ के आने पर अधिकारी अब उसे गुमराह करने लगे हैं। वह विश्वविद्यालय में ही दाएं बाएं रहते हैं और लखनऊ में होने की बात कहते हैं। आज एक सहायक कुलसचिव ने ऐसा ही किया। टीम के फोन करने पर वह बोले कि मैं लखनऊ में हूं, जबकि वह अपने कार्यालय के पीछे बैठकर आराम से चाय पी रहे थे। पोल खुलने के बाद सहायक कुलसचिव के पसीने छूट गए।
पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक के कार्यकाल में हुए गलत कामों की एसटीएफ बड़ी बारीकी से जांच कर रही है। कई पत्रावली उसे दे दी गई हैं तो कई उससे छुपाई जा रही हैं। विशेष सूत्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय में एक अधिकारी के द्वारा पूर्व कुलपति के कारनामों पर पर्दा डालने के लिए पूरे तरीके से योजना बनाई जा रही है। इस अधिकारी का पूर्व कुलपति से काफी लगाव बताया जा रहा है। यह अधिकारी भी एसटीएफ की रडार पर है। क्योंकि एसटीएफ को इस बात के भी सबूत मिल गए हैं कि उसकी तैनाती कराने में पूर्व कुलपति का हाथ रहा है।
इधर टीम पिछले कई दिनों से लगातार विश्वविद्यालय में जांच के लिए आ रही है। टीम आती है तो कुछ ना कुछ पत्रावली मांगती है। यह देखकर अब अधिकारियों ने टीम को गुमराह करना भी शुरू कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि आज टीम ने एक सहायक कुलसचिव के पास फोन किया था। सहायक कुलसचिव ने कहा कि साहब मैं तो लखनऊ में हूं, जबकि सहायक कुलसचिव विश्वविद्यालय में ही बैठे हुए थे।
इधर टीम के द्वारा आज चाचा विशाल सिंह कॉलेज के बारे में जानकारी की गई। कॉलेज को B.Ed की 100 सीटें किस आधार पर निर्धारित की गई है यह पूछा। साथ ही यह भी जानकारी की है कि क्या कॉलेज संचालक द्वारा छात्रों का शोषण करने की उन्हें पूर्व में कोई शिकायत मिली थी?
प्रोफेसर पाठक की उत्तराखंड में संपत्ति मिलने की चर्चाएं
पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक की उत्तराखंड में करोड़ों रुपए की संपत्ति है। ऐसी टीम को जानकारी मिली है। यह संपत्ति कहां पर है, टीम जानकारी करने में लगी हुई है। टीम उनकी ससुराल पर भी निगाह बनाए हुए हैं। पूर्व कुलपति की ससुराल शाहगंज में है। टीम को यह जानकारी भी मिली है कि ससुराल वालों को एक कॉलेज के सचिव की गाड़ी लाती ले जाती थी। इस कॉलेज का पूर्व कुलपति ने मानकों को दरकिनार करते हुए बहुत बड़ा काम किया है।
पूर्व कुलपति को बचाने के लिए लगाया जा रहा जोर
पूर्व कुलपति द्वारा एक अधिकारी पर इतना बड़ा एहसान किया गया है कि वह गुरु दक्षिणा में उनके सारे कारनामों को सही कराने के लिए परेशान हैं। कार्यपरिषद में भी कई निर्णय को ले जाकर सही कराने की कवायद है। हालांकि कार्यपरिषद में कुछ सदस्य इस बार हंगामा करने का मन बना रहे हैं। पूर्व कुलपति ने जो तीन पद डीन एकेडमिक, डीन एलुमनाई, डीन फैकल्टी परीनियमावली को दरकिनार करते हुए बनाए थे, उन तीनों को निरस्त करने के लिए हंगामा हो सकता है।
सपा छात्र सभा के पदाधिकारियों ने किया कुलपति का घेराव, शिक्षकों से बोले गुड बॉय मत बनिए
आगरा। सपा छात्र सभा के अध्यक्ष अमित प्रताप और रवि यादव के नेतृत्व में आज छात्रों ने कुलपति सचिवालय में हंगामा किया। कुलपति प्रोफ़ेसर आशु रानी छात्रों से बात करने के लिए बाहर ही आ गई। पदाधिकारियों ने उनसे कहा कि विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को नियमविरुद्ध टीचिंग असिस्टेन्ट (आर्यभट्ट)बनाया गया है। इनको तत्काल निरस्त कर नियुक्ति नियमानुसार की जाए। हजारों छात्र दाखिले से वंचित रह गए हैं। इनके लिए वेब रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया दोबारा शुरू की जाने की मांग की गई है। यूजीसी के नियम के तहत छात्रों की परीक्षा फीस 800 रुपये निर्धारित है लेकिन विश्वविद्यालय ने छात्रों से 1700 रुपये वसूले। छात्रों की बकाया फीस भी वापस करने की मांग की जा रही है। घेराव करने वालों में अफताब कुरैशी, ललित राज, अरुन यादव, विशाल गौतम, ललित चौधरी, हिमेश यादव, अभय यादव आदि शामिल रहे।
दूसरी ओर सेल्फ फाइनेंस कॉलेज एसोसिशन के महामंत्री डॉ. वीरेंद्र केशव ने कुलपति से मुलाकत कर कहा कि एक-एक शिक्षक कई कॉलेज में कार्यरत है। शिक्षकों के नाम की सूची ऑनलाइन की जाए। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि एक कॉलेज प्राचार्य द्वारा छात्रों से नकल के लिए पैसे मांगे जाने का ऑडियो वायरल हुआ था। इस मामले में अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं हुई है।