दुनियाभर में थायराइड से जुड़ी बीमारियां आम होती जा रही हैं. हालांकि इनमें से ज्यादातर बीमारियां खतरनाक नहीं होती. लगभग 5 फीसदी थायराइड से जुड़ी बीमारियां ही घातक हो सकती हैं, जिन्हें सर्जरी के जरिए इलाज की ज़रूरत होती है. इनमें से नॉन-कैंसरस सूजन या हल्की सूजन को निगरानी में रखा जा सकता है.
वहीं सर्जरी की बात की जाए तो ये केवल तब की जा सकती है जब इसका असर बॉडी पर नज़र आने लगे, यानी सूजन कॉस्मेटिक रूप से परेशान करने लगे या गर्दन पर आई सूजन फ़ूड पाइप या विंड पाइप को दबा रही हो. थायराइड कैंसर का इलाज कई कारकों पर निर्भर करता है. इनमें उम्र, लिंग, घाव का आकार और लिम्फ नोड मेटास्टेसिस या इंस्टेंट मेटास्टेसिस की मौजूदगी शामिल है. ऐसे ज्यादातर मामलों में सर्जरी ही बेहतर इलाज है. हालांकि, हर मरीज के मुताबिक इसका इलाज अलग-अलग हो सकता है. थायराइड ग्लैंड सी सर्जरी हेमी-थायराइडेक्टॉमी या कुल थायराइडेक्टॉमी हो सकती है.
हेमी-थायराइडेक्टॉमी में प्रभावित हिस्से की केवल आधी ग्लैंड को हटाया जाता है. वहीं, टोटल थायराइडेक्टॉमी में पूरी थायराइड ग्लैंड को हटा दिया जाता है. थायराइड ग्लैंड को हटाने के अलावा, गर्दन में मौजूद लिम्फ नोड्स को भी हटाने की ज़रूरत हो सकती है. अगर चेस्ट में लिम्फ नोड्स भी मौजूद हैं तो उन्हें भी हटा दिया जाता है.
थायराइड सर्जरी में आने वाली सामान्य जटिलताओं की बात करें तो इसमें वोकल कॉर्ड पाल्सी या हाइपोकैल्सीमिया शामिल हैं. अगर सर्जरी के दौरान वोकल कॉर्ड को सप्लाई करने वाली नर्व (तंत्रिका) चोटिल हो जाती है या बीमारी की वजह से उसे निकालने की ज़रूरत होती है, तो मरीज़ की आवाज में भारीपन आ सकता है. ये अस्थायी या स्थायी, दोनों हो सकता है. हालांकि परमानेंट कॉर्ड पाल्सी केवल 5 फीसदी केस में ही होता है. थायराइड सर्जरी के दौरान अगर पैराथायराइड ग्लैंड्स (कैल्शियम संतुलन से संबंधित) में खून की सप्लाई प्रभावित होती है तो मरीज को हाइपोकैल्सीमिया हो सकता है, इसमें खून में कैल्शियम का स्तर कम हो जाता है. ये अस्थायी या स्थायी भी हो सकता है और इसके लिए कैल्शियम के सप्लीमेंट की जरूरत हो सकती है. अगर पूर्ण थायराइडेक्टॉमी की गई है तो मरीज को जिंदगी भर थायराइड हार्मोन के सप्लीमेंट की जरूरत हो सकती है.
स्कारलेस (निशान रहित) थायराइडेक्टॉमी क्या है?
पारंपरिक थायराइडेक्टॉमी का मतलब है कि गर्दन में चीरा लगाकर थायराइड ग्लैंड को हटा दिया जाए. वहीं, स्कारलेस थायराइडेक्टॉमी सर्जरी की वो प्रक्रिया है जिसमें गर्दन पर कोई निशान नहीं आता. इसमें दूर से थायराइड ग्लैंड तक पहुंचा जाता है, ये कान के पीछे से, चेस्ट से या मुंह के अंदर से हो सकता है.
कैसे की जाती हैं स्कारलेस सर्जरी?
इस सर्जरी में दूर से थायराइड ग्लैंड तक पहुंचने की कोशिश की जाती है, इसके लिए सर्जरी के दौरान कुछ बदलाव की जरूरत होती है. इन्हें एंडोस्कोपिक उपकरणों की मदद से या रोबोट के माध्यम से किया जा सकता है. इसमें रोबोटिक सर्जरी को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि इसमें छोटे उपकरणों के ज़रिए निपुणता के साथ गर्दन के अंदर तक पहुंचा जा सकता है.
रोबोटिक सर्जरी से क्या फायदे हैं?
दिखाई देने वाला निशान नहीं: ये सर्जरी दूर की जगह से की जाती है, इसलिए निशान स्पष्ट या सामान्य रूप से दिखाई नहीं देता है. यह कॉस्मेटिक उद्देश्यों से जाने वाली सर्जरी वाले मामलों के लिए ज्यादा उचित होती है.
कम से कम ब्लड लॉस: इस प्रक्रिया में कम से कम खून का रिसाव होता है.
मैग्नीफाइड व्यू: इस सर्जरी में वोकल कॉर्ड के साथ-साथ पैराथाइरॉइड तंत्रिका की पहचान करने और उसे बचाने में आसानी होती है.
तेज़ी से रिकवरी: ये सर्जरी पारंपरिक सर्जरी के मुकाबले ज़्यादा सटीक होती है, इससे आमतौर पर कम जटिलताएं और तेजी से रिकवरी होती है.
कैसे की जाती है रोबोटिक सर्जरी?
ये सर्जरी ट्रेंड हेड और नेक रोबोटिक सर्जन द्वारा की जाती है. सर्जन इसके लिए एक सर्जिकल रोबोट का उपयोग करता है. रोबोट के पास छोटे औज़ार होते हैं, जो छोटे चीरों के ज़रिए, छोटी जगह में घुस सकते हैं. सर्जन इन्हें एक अलग कंसोल से ऑपरेट करता है, जहां उसे ऑपरेटिंग क्षेत्र का 3 डाइमेंशन व्यू मिलता है. पूरी सर्जरी सर्जन के कंट्रोल में होती है.
सर्जरी के बाद रिकवरी कैसी होती है?
सर्जरी के बाद मरीज़ उसी दिन घूम-फिर या खा-पी सकता है. इस सर्जरी में अंदर जमे खून को बाहर निकालने के लिए एक नली लगाई जाती है, इसे एक-दो दिन में हटा दिया जाता है. वहीं, इस सर्जरी के बाद रोगी पर खाने या किसी प्रकार की गतिविधियों के संबंध में कोई रोक नहीं होती है.