नई दिल्ली। इन दिनों अपने देश में ‘द कश्मीर फाइल्स’ की काफी चर्चा है। कई राज्यों में फिल्म को टैक्स फ्री कर दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में कश्मीरी पंडित फूट-फूटकर रोते दिखाई दे रहे हैं। इस फिल्म में कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार और उनके पलायन की दर्दनाक दास्तां को दिखाया गया है। फिल्म निर्माता और अभिनेताओं को गले लगाकर लोग उनके काम की तारीफ कर रहे हैं। यह तीन दशकों तक सीने में जज्ब गुबार के फूटने जैसा है। आंखों से आंसू बनकर निकलता यह कश्मीरी पंडितों का दर्द है, जो अपने या अपने परिवार के साथ घटी त्रासदी को बड़े परदे पर देखकर बाहर निकल रहा है। इस बीच, केरल कांग्रेस के ट्वीट के बाद पूर्व गवर्नर जगमोहन की काफी चर्चा होने लगी है।
दरअसल, कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचार पर केंद्रित फिल्म की रिलीज के बाद जिस तरह से इसकी चर्चा शुरू हुई, कांग्रेस खुद को उनका ज्यादा हितैषी साबित करने की कोशिश में जुट गई। केरल कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कई ट्वीट कर डाले। उसने कश्मीरी पंडितों की मदद के आंकड़े दिखाए। ऐसे ही एक ट्वीट में कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से कहा गया है कि पंडितों ने गवर्नर जगमोहन के निर्देश पर सामूहिक रूप से घाटी छोड़ दी थी, वह आरएसएस मैन थे। इतना ही नहीं, कांग्रेस की राज्य ईकाई ने कहा कि पलायन बीजेपी समर्थित वीपी सिंह सरकार के समय में शुरू हुआ था। कांग्रेस के इस ट्वीट पर प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कश्मीरी पंडितों के पलायन के समय केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी और भाजपा ने उसे समर्थन दिया था। 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हारने के बाद कम्युनिस्ट पार्टियों और बीजेपी के समर्थन से वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने थे। कांग्रेस अब भाजपा को घेर रही है।
एक अन्य ट्वीट में कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी समर्थित वीपी सिंह सरकार दिसंबर 1989 में सत्ता में आई। अगले ही महीने जनवरी 1990 में पंडितों का पलायन शुरू हो गया। बीजेपी ने कुछ नहीं किया और नवंबर 1990 तक वीपी सिंह को समर्थन देना जारी रखा। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ सलाहकार कंचन गुप्ता ने केरल कांग्रेस के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा कि अगर जगमोहन आरएसएस मैन थे तो कांग्रेस की पीएम इंदिरा गांधी ने उन्हें 1984 में जम्मू-कश्मीर का गवर्नर क्यों नियुक्त किया था। इस पोस्ट पर वह राजीव गांधी के समय में भी क्यों रहे। उन्होंने 14 अप्रैल 1990 को श्रीनगर से प्रकाशित एक उर्दू अखबार की कुछ लाइनों वाला एक कागज शेयर करते हुए लिखा कि जगमोहन को 19 जनवरी 1990 को जम्मू-कश्मीर का गवर्नर बनाया गया था। वह जम्मू में थे और 21 जनवरी को श्रीनगर पहुंचे। 19 जनवरी की रात में ही कश्मीरी पंडितों पर जुल्म ढाए गए और उन्हें घाटी छोड़कर जाना पड़ा। इसी अखबार में हिजबुल मुजाहिद्दीन के कश्मीर आतंकियों के गुट ने कहा था कि वर्तमान संघर्ष कश्मीर में इस्लाम का दबदबा कायम करने के लिए है। जो कोई भी इस रास्ते में बाधा बनेगा, उसे खत्म कर दिया जाएगा। लेख के माध्यम से आतंकियों ने कश्मीर में पंडितों को मुसलमानों की राह में सबसे बड़ी अड़चन बताया था।