पूर्व कुलपति डॉ. अरविंद कुमार दीक्षित ने आगरा विकास प्राधिकरण से बिना नक्शा पास कराए ही करोड़ों रुपए की लागत से सिविल लाइन में संस्कृति भवन का निर्माण कराया था। किसी ने इस बात की शासन, विजिलेंस और एडीए में शिकायत कर दी। एडीए ने विश्वविद्यालय को नोटिस देकर पूछा था कि बिना नक्शा पास कराए विश्वविद्यालय प्रशासन बिल्डिंग का निर्माण कैसे करा रहा है? क्यों ना विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की जाए? इधर विजिलेंस ने भी मामले में जांच बैठा दी थी। मामला गर्म होता देख डॉ. अरविंद दीक्षित के बाद आए कुलपति प्रोफेसर अशोक मित्तल ने बिल्डिंग का उद्घाटन नहीं कराया। प्रोफेसर अशोक मित्तल के बाद प्रोफेसर आलोक कुमार राय कुलपति बनकर आए। विशेष सचिव उच्च शिक्षा ने उनसे भी मना कर दिया वह इस बिल्डिंग के चक्कर में ना पड़े। पहले कानून विश्वविद्यालय इसका मालिक बन जाए उसके बाद यहां विभाग शिफ्ट किए जाएं। विशेष सचिव के कहने के बाद प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने भी बिल्डिंग को विवादित देख उसका उद्घाटन नहीं कराया। प्रोफेसर आलोक कुमार राय के बाद प्रोफेसर विनय कुमार पाठक कुलपति बने हैं। वह कल इस बिल्डिंग का उद्घाटन करने जा रहे हैं। सवाल है खड़े हो रहे हैं कि जिस जमीन का विश्वविद्यालय प्रशासन भूस्वामी नहीं है, बिल्डिंग का आगरा विकास प्राधिकरण से नक्शा पास नहीं है। मामले की विजिलेंस जांच भी चल रही है तो फिर नए कुलपति उद्घाटन की इतनी जल्दी क्यों मचा रहे हैं? यह देख विश्वविद्यालय के अधिकारी भी घबराए हुए हैं। अधिकारियों ने भी सोच लिया है अगर शासन उनसे कोई जवाब मांगेगा तो है बोल देंगे कुलपति ने ही इसका उद्घाटन किया है।
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आगरा। नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) की खूबियां गिना गिनाकर थकने वाले नीति नियंता अब यूपीएस नाम की संशोधित पेंशन स्कीम...