-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय के नामांकन विभाग में हजारों छात्रों के डिग्री के लिए किए गए आवेदन धूल फांक रहे हैं। छात्र डिग्री के लिए चक्कर लगाते-लगाते परेशान हैं लेकिन किसी पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि यह स्थिति तब है जब कुलपति रोजाना जूम एप की मीटिंग पर अधीनस्थ अधिकारियों से पेंडेंसी जल्द से जल्द खत्म करने के लिए बोल रहे हैं। कल रात को हुई जूम एप की मीटिंग में तो उन्हें भी मजबूर होकर बोलना पड़ा हम किसी भी दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। हर एक दिन ऐसे ही गुजर रहा है।
विश्वविद्यालय में छात्रों को डिग्री, मार्कशीट समय से दिए जाने के लिए हालात नहीं सुधर रहे हैं। वर्तमान में नामांकन विभाग में हजारों की संख्या में डिग्री के आवेदन मेज पर पड़े होने के साथ अलमारी के अंदर बंद हैं। छात्रों को समय से डिग्री नहीं मिलने पर वह जब विश्वविद्यालय में आ रहे हैं तो उन्हें जानकारी मिल रही है कि उनके आवेदन नामांकन विभाग में पड़े हुए हैं। वह वहां जाकर कर्मचारियों से आवेदन वेरीफाई करने की गुहार लगा रहे हैं लेकिन कर्मचारियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। कर्मचारियों की सोच रहती है कि जब छात्रों को डिग्री, मार्कशीट समय से नहीं मिलेगी तभी तो वह विश्वविद्यालय में आकर चक्कर काटेगा। चक्कर काटने के बाद परेशान होकर उन्हें समझने की कोशिश करेगा। इस रणनीति में वह सालों से कामयाब भी हो रहे हैं। इधर कई अधिकारी आए और यही दावे करके चले गए कि छात्रों को डिग्री और मार्कशीट समय से दिलाएंगे लेकिन अधिकारियों का यह सपना एक सपना बनकर ही रह गया। वर्तमान कुलपति ने भी चार्ज लेने के बाद पत्रकार वार्ता में अपनी प्राथमिकताओं में डिग्री, मार्कशीट समय से दिलाने की बात कही थी।
कुलपति रोजाना विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ जूम एप पर मीटिंग भी कर रहे हैं। इसमें वह पेंडेंसी खत्म करने के लिए दिशा निर्देश देते हैं लेकिन किसी भी अधिकारी के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है। बीती रात हुई मीटिंग में कुलपति को भी मजबूर होकर बोलना पड़ा कि हम किसी भी दिशा में एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। हर एक दिन ऐसे ही निकल रहा है। कुलपति के यह कहने से स्पष्ट हो गया है कि यहां का सिस्टम कितना बदतर हो चुका है। अधिकारी जब कुलपति की ही नहीं मान रहे हैं तो किसकी मानेंगे? जानकारों का कहना है कि इस विश्वविद्यालय को आईपीएस मंजूर अहमद की तरह किसी आईपीएस कुलपति की आवश्यकता है। वही यहां के सिस्टम को दुरुस्त कर पाएगा।