आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय में एक और घोटाला सामने आया है। पूर्व में संविदा पर जो कर्मचारी रखे गए थे, उनमें 9 कर्मचारी नियुक्ति के समय नाबालिग थे। वे 18 वर्ष के नहीं थे फिर भी उन्हें नियम विरुद्ध नियुक्ति दे दी गई। ऐसा पहला विश्वविद्यालय है जो 15-16 साल के किशोरों को भी नौकरी दे देता है।
वर्ष 2001 से पूर्व के संविदा कर्मचारियों को शासन ने स्थाई करने के निर्देश दिए थे। विश्वविद्यालय में 53 संविदा कर्मचारी और 14 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी स्थाई होने हैं। स्थाई होने की मांग को लेकर वे धरना भी दे रहे हैं। इधर विश्वविद्यालय प्रशासन उन्हें स्थाई करने से इसलिए डर रहा है क्योंकि 9 कर्मचारी नियुक्ति के समय नाबालिग थे। किसी की उम्र 15 साल थी तो किसी की 16। आखिर उनको कैसे नियुक्ति दे दी गई। यह सवाल खड़े हो रहे हैं। इधर इन 9 कर्मचारियों के चक्कर में अन्य कर्मचारियों को स्थाई होने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। इन कर्मचारियों का कहना है कि वह लंबे समय से स्थाई होने का इंतजार कर रहे हैं।