आगरा। पहले चरण का मतदान 10 फरवरी को है। इस बार चुनाव में पहले जैसा शोरशराबा नहीं है। न बड़ी-बड़ी रैलियां और न ही रोड शो। भीड़ जुटाने का टेंशन भी नहीं है। फिर भी प्रचार तो हो रहा है, लेकिन खामोशी के साथ। नेता गली-गली और घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। इनमें राष्टीय स्तर के नेता भी शामिल हैं।
जानकारों का कहना है कि खामोशी के साथ चल रहे चुनाव प्रचार से प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों का खर्चा भी कम हो रहा है। पिछले चुनावों की तुलना में यह चुनाव सबसे कम खर्चीला माना जा रहा है। बैनर, पोस्टर और बिल्ला तो पहले से ही गायब है। जानकार बताते हैं एक बड़ी जनसभा पर 50 लाख से अधिक रुपए खर्च हो जाते थे।
चुनावी शोर कम होने से लोग भी अच्छा महसूस कर रहे हैं। इस चुनाव में सोशल मीडिया का दायरा और उपयोग कई गुना बढ़ गया है। यूजर्स घर बैठे नेताओं के कदमताल को देख रहे हैं।
दो सीटों पर सिमटी सपा, भाजपा गठबंधन के खाते में सात सीटें
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