नई दिल्ली। देश की आबादी में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की हिस्सेदारी घट रही है। वर्ष 1971 में भारत की कुल आबादी के 41.2 प्रतिशत इसी आयुवर्ग के बच्चे थे, जो 2019 में घटकर 25.3 प्रतिशत रह गए। हालांकि, इस दौरान 15 से 59 वर्ष की उम्र वाली कामकाजी आबादी का प्रतिशत बढ़ गया है। 1971 में इस आयुवर्ग की हिस्सेदारी 53.4 प्रतिशत थी जो 2019 में बढ़कर 66.7 प्रतिशत हो गई। वहीं, बुजुर्गों यानी 60 वर्ष से ऊपर की उम्र के लोगों की हिस्सेदारी भी बढ़ी है। बुजुर्गों की कुल आबादी में हिस्सेदारी साल 1971 में 5.3 प्रतिशत के मुकाबले बढ़कर 8 प्रतिशत हो गई है।
बिहार, मध्य प्रदेश और झारखंड देश के सबसे युवा राज्य हैं। साल 2019 में झारंखड और मध्य प्रदेश में 33.5 प्रतिशत और 29.1 प्रतिशत आबादी 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की है। वहीं, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पंजाब में इस आबादी का प्रतिशत सबसे कम है। बात बुजुर्गों की करें तो 12.9 प्रतिशत और 11.3 प्रतिशत के साथ क्रमश: केरल और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा बुजुर्ग आबादी है। वहीं, तेलंगाना की आबादी में कामकाजी आयु वर्ग की आबादी सबसे ज्यादा 71.9 प्रतिशत है। बिहार और उत्तराखंड में यह आंकड़ा सबसे कम है।
2009-11 से 2017-19 के बीच जन्म दर में लड़की और लड़कों के बीच असंतुलन में बहुत अंतर दर्ज नहीं किया गया है। केंद्र सरकार महिलाओं के विवाह की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने के लिए कानून लाने जा रही है। वैसे आंकड़े बता रहे हैं कि 21 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के विवाह के मामले घट रहे हैं। पश्चिम बंगाल में उन राज्यों की लिस्ट में टॉप पर है जहां 21 वर्ष से कम उम्र में लड़कियों का विवाह सबसे ज्यादा हुआ है। वर्ष 2019 में 52.9 प्रतिशत बच्चों को पहली बार मां बनी महिलाओं ने जन्म दिया था जबकि उस वर्ष जन्मे 11.7 प्रतिशत बच्चे अपनी मां के तीसरे बच्चे थे।