गौरव प्रताप सिंह
आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में नए-नए कारनामे देखने को मिलते हैं। यहां सभी विषय में जीरो नंबर लाने वाले को थर्ड डिवीजन में उत्तीर्ण कर दिया जाता है तो कभी बिना कॉपी चेक किए ही नंबर दे दिए जाते हैं। यही नहीं यहां बीए के छात्र एमए की कॉपी चेक करते हुए भी पाए जा चुके हैं। इस बार नया कारनामा देखने को मिला है। 200 में से 200 नंबर पाने वाला मेधावी भी विवि की नजर में फेल था। वह उसे मेडल नहीं देकर उन छह छात्रों को मेडल दे रहा था जो 196 नंबर लेकर आए हैं। भला हो छात्र का जो वह विवि में आपत्ति दाखिल करने पहुंच गया। छात्र की मार्क्सशीट को देख अब विवि उसे ही मेडल देने जा रहा है, लेकिन सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि अगर छात्र विवि में नहीं आता तो वह तो मेडल पाने से वंचित रह जाता?
29 मार्च को दीक्षांत समारोह होने जा रहा है। कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल छात्रों को मेडल देने के लिए आ रही हैं। कुलाधिपति के सख्त होने के बाद भी विवि प्रशासन दीक्षांत समारोह का मजाक बनाए हुए हैं। बीएससी रसायन विज्ञान में सर्वाधिक अंक लाने पर छह छात्रों को मेडल दिया जा रहा था। इनके नाम आशी गुप्ता, प्रगति सक्सेना, कल्पना जोशी, शैली चतुर्वेदी, निष्ठा पाराशर, दीपिका चौधरी थे। इन सभी के 200 नंबर में से 196 नंबर आए थे। 196 नंबर वाले छात्रों को मेडल मिलता देख 200 नंबर पाने वाला छात्र तरूण छावड़ा हैरान हो गया और विवि में अपनी मार्क्सशीट लेकर दौड़ते हुए पहुंचा। छात्र की मार्क्सशीट में रसायन विज्ञान विषय में 200 में से 200 नंबर थे। इसके बाद विवि ने मेडल सूची से छह छात्रों का नाम हटाकर उसका नाम डाल दिया है। सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि आखिर यह छात्र तो जागरूक था, विवि में दौड़ता आ गया। अगर नहीं आता तो उसे मेडल नहीं मिलता। जो छात्र जागरूक नहीं होंगे वे तो वंचित रह जाते होंगे? विवि आखिर क्यों वास्तविक छात्रों की सही मेडल सूची जारी नहीं करता है।