आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में गुरुवार को एसटीएफ ने दस्तक दी। इस बार टीम ईआरपी सॉफ्टवेयर की जानकारी करने के लिए आई थी। एसटीएफ को देख विश्वविद्यालय में खलबली मच गई। टीम ने जानकारी की कि साफ्टवेयर का काम पूरा हुआ है या नहीं? कितना भुगतान हुआ है? जांच के बाद टीम ने पाया कि उन्हें एक प्रोफेसर ने गुमराह किया था। अब इस प्रोफेसर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
बता दें कि पूर्व कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक की ओर से ईआरपी सॉफ्टवेयर खरीदवाया गया। यह करीब 70 लाख रुपये का है। एक प्रोफेसर जो कि एक संस्थान के निदेशक हैं, उन्होंने इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया था। एसटीएफ के संज्ञान में आया था कि सॉफ्टवेयर संबंधी काम हुआ नहीं और भुगतान कर दिया गया। एसटीएफ ने मामले में जांच शुरू की। प्रस्ताव तैयार करने वाले प्रोफेसर को अपने कार्यालय पर पूछताछ करने के लिए बुलाया। सवाल किया गया कि क्या सॉफ्टवेयर का काम पूरा हो गया था। इस पर प्रोफेसर ने कहा, हां, काम पूरा हो गया था, तभी भुगतान किया गया।
इसके कुछ देर बाद एसटीएफ को किसी ने जानकारी दी कि प्रोफेसर ने उन्हें गुमराह किया है। गुरुवार को टीम जानकारी करने के लिए विश्वविद्यालय में पुन: आई। जानकारी करने पर विवि के एक अधिकारी ने बताया कि सॉफ्टवेयर संबंधी काफी काम अभी बाकी है। यह सुनकर टीम हैरान हो गई। एसटीएफ समझ गई कि प्रोफेसर ने उन्हें गुमराह किया था। माना जा रहा है कि प्रोफेसर ने अपनी गर्दन बचाने को झूठ बोला था। टीम ने प्रोफेसर की उस रिपोर्ट की कॉपी भी ले ली है जिसमें उन्होंने लिखा है कि काम पूरा हो गया।
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