आगरा। विवादित संस्कृति भवन का गुरुवार को उद्घाटन हो गया है। दो विभागों के शिफ्ट होने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष ने शिफ्ट होने से मना किया था। कुलपति ने देर शाम तक उन्हें मना लिया है।
बता दें कि पूर्व कुलपति डॉ. अरविंद कुमार दीक्षित ने आगरा विकास प्राधिकरण से बिना नक्शा पास कराए ही 40 करोड़ की लागत से संस्कृति भवन का निर्माण कराया। विश्वविद्यालय ने जिस जमीन पर संस्कृति भवन का निर्माण कराया है उसका वह भूस्वामी भी नहीं है। निर्माण को लेकर तमाम जांच चल रही हैं। कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने कहा कि उनकी राजस्व विभाग और आगरा विकास प्राधिकरण में बात हो गई है। मार्च तक सब क्लियर हो जाएगा। कुलपति ने अपने रिस्क पर संस्कृति भवन का उद्घाटन कर दिया है। उद्घाटन के बाद कुलपति ने आर्ट गैलरी का निरीक्षण किया और यहां प्रदर्शित पेंटिंग्स को सराहा। कुलपति ने निर्देश दिए कि यहां पर छोटे-छोटे कैप्सूल कोर्स शुरू किए जाएं , ताकि विभिन्न क्षेत्रों के लोग, जो कला में रुचि रखते हैं, वह भी उन पाठ्यक्रमों का लाभ उठा सकें। उद्घाटन के दौरान प्रति कुलपति प्रो. अजय तनेजा, प्रोफेसर सुगम आनंद , डीन एकेडमिक प्रो. संजीव कुमार, प्रो. मनोज श्रीवास्तव, प्रो. लवकुश मिश्रा, प्रो. ब्रजेश रावत, प्रो. विनिता सिंह, प्रोफेसर संतोष बिहारी शर्मा, डॉ. बीड़ी शुक्ला आदि मौजूद रहे।
उद्घाटन के बाद कुलपति ने सभी नियमित, संविदा शिक्षक और विषय विशेषज्ञों के साथ “संवाद”कार्यक्रम का आयोजन किया। कुलपति ने कहा कि हमें आगामी सत्र में आवासीय इकाई में कम से कम 2000 छात्रों की संख्या बढ़ानी है। ऐसा तभी संभव हो सकेगा जब विश्वविद्यालय ऐसे रोजगार परक पाठ्यक्रमों को लेकर आए, जिन्हें पूर्ण करने के पश्चात विद्यार्थी को तत्काल रोजगार प्राप्त हो सके। आगे बोलते हुए कुलपति ने कहा की शीघ्र ही सभी विभागों से पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन लिया जाएगा, जिसमें वे अपने विभाग की वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाओं का विवरण प्रस्तुत करेंगे। कुलपति ने यह भी कहा कि कई विभागों को दूसरे विभागों के साथ अटैच किया जाएगा। इस बात को लेकर अंदर खाने शिक्षकों में विरोध शुरू हो गया है।