-गौरव प्रताप सिंह-
आगरा। डॉ. भीमराव आम्बेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, पूर्व कुलसचिव सहित कई लोगों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए एक पूर्व शिक्षक ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर एफआईआर कराने की मांग की है। कोर्ट ने एसएससी से सीओ स्तर के अधिकारी से इस मामले की जांच कराकर एक अप्रैल तक कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
डॉ. अजीत कुमार राणा विश्वविद्यालय के विधि विभाग में वर्ष 2004 से लेकर 2012 तक अनुबंधित प्रवक्ता पद पर कार्यरत रहे हैं। अजीत राणा ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि विश्वविद्यालय में नियुक्ति से पूर्व 2003 में उन्होंने गिरराज महाराज कॉलेज मथुरा में विधि प्रवक्ता पद के लिए साक्षात्कार दिया था। इसके बाद उन्होंने 2013 में श्री जी बाबा कॉलेज ऑफ लॉ मथुरा में साक्षात्कार दिया। इन दोनों कॉलेजों के अलावा वर्ष 2016 में उन्होंने हाथरस के राम शंकर सारस्वत कॉलेज, अलीगढ़ के आरजे विधि महाविद्यालय, अलीगढ़ के ही एसएस कॉलेज ऑफ लॉ, मथुरा के बाबूलाल विधि महाविद्यालय में भी शिक्षक और प्राचार्य पद के लिए साक्षात्कार दिया। यह साक्षात्कार विश्वविद्यालय के खंदारी परिसर स्थित गेस्ट हाउस में संपन्न हुए थे। डॉ. राणा का सभी कॉलेजों में चयन हुआ, लेकिन उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं दिए गए। इसके बाद उन्होंने किसी भी कॉलेज में ज्वाइन नहीं किया। एक अन्य कॉलेज में जब उन्होंने प्राचार्य पद के लिए साक्षात्कार दिया तो उन्हें ज्ञात हुआ कि विश्वविद्यालय से संबद्ध कई कॉलेजों में उनका अनुमोदन है। इसके बाद उन्होंने विश्वविद्यालय में शिकायत की लेकिन यहां कोई सुनवाई नहीं हुई। फिर उन्होंने कुलाधिपति को एक के बाद एक कई पत्र लिखे। कुलाधिपति को पत्र लिखने के बाद भी उनका अनुमोदन निरस्त नहीं किया गया। डॉ. राणा ने कहा है कि उनके दस्तावेजों का विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों ने मिलकर षड्यंत्र करके दुरुपयोग किया है।
डॉ. राणा ने याचिका में कहा है कि इसके लिए पूर्व कुलपति डॉ. अरविंद कुमार दीक्षित, पूर्व कुलसचिव केएन सिंह, संबद्धता विभाग के अधीक्षक और अन्य कर्मचारियों के साथ-साथ उपरोक्त विधि महाविद्यालयों के अध्यक्ष, प्रबंधक एवं सचिव जिम्मेदार हैं। मामले में कोर्ट ने एसएसपी को पत्र लिखकर इस मामले की किसी सीओ स्तर के अधिकारी से जांच कराकर एक अप्रैल तक आख्या देने के निर्देश दिए हैं।
उप निरीक्षक ने भी जांच में कहा चार कॉलेजों में अनुमोदन था
कोर्ट ने हरीपर्वत थाना पुलिस से मामले में आख्या मांगी थी। उप निरीक्षक ने जांच कर कहा है कि डॉ. राणा का विश्वविद्यालय से संबद्ध चार कॉलेजों में अनुमोदन था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने इस रिपोर्ट को देखने के बाद एसएसपी से किसी सीओ स्तर के अधिकारी से मामले की जांच कराने के लिए कहा है।