नई दिल्ली। जब रूस पड़ोसी देश यूक्रेन पर हमला कर चुका है और दोनों के बीच युद्ध हफ्ते भर बाद भी जारी है तब भारत अपने पड़ोसी चीन को लेकर काफी सतर्कता बरत रहा है। इसी सतर्कता की बदौलत चीन के अतिक्रमणकारी मंसूबे पूरे नहीं हो रहे और वह भी फूंक-फूंक पर कदम बढ़ाने पर मजबूर है। चीन को इसी हाल में रखने के लिए भारत ने फिर से चीन स्पेशल सैन्य टुकड़ी का युद्धाभ्यास किया, जिसमें हवाई हमलों की सूरत में दुश्मन के दांत खट्टे करने की हर चाल का परीक्षण किया गया।
भारत ने ताजा युद्धाभ्यास सिलिगुड़ी गलियारे में किया। फिर सेना की हमलावर टुकड़ी ने देश की उत्तरी सीमाओं पर अपना करतब दिखाया जिसका स्वयं थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने अलग से निरीक्षण किया। भारतीय थल सेना 21 महीने पहले पूर्वी लद्दाख में हुए हिंसक झड़प के बाद से ही 3,488 किमी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मुंह बाए खड़ी चुनौतियों को लेकर बेहद चौकन्ना है। हालांकि, यूक्रेन संकट के बाद से अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों समेत दुनियाभर का ध्यान इस तरफ से हट गया लगता है। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट की बात करें तो सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यूक्रेन पर हमले को उसी संदर्भ में देखा जाना चाहिए जिसमें चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी भी हमारी सीमाओं पर खुराफात करने का मंसूबा पाल सकती है। हम किसी भी सूरत में उत्तरी सीमाओं पर से अपना ध्यान नहीं हटा सकते। यह खतरों के नियमित आकलन और आंतरिक सोच-विचार का नतीजा है। इलाकाई अखंडता के साथ-साथ पीएलए सैनिकों और उसके सैन्य ढांचों के अनुकूल तैयारियां सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सेना अपने बलों को नए माहौल में ढाल रही है। वहीं, पाकिस्तान से लगी सीमा पर भी प्रभावी युद्ध क्षमता बरकरार रखी गई है।